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शनिवार, 21 मई 2022

भानु सप्तमी व्रत 22 मई 2022 - इस दिन सूर्य देव की पूजा से बढ़ेगा धन, वंश और सुख

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 भानु सप्तमी व्रत 22 मई 2022 - इस दिन सूर्य देव की पूजा से बढ़ेगा धन, वंश और सुख


 जब किसी भी महीने की सप्तमी तिथि रविवार के दिन होती है, तो उस दिन भानु सप्तमी (Bhanu Saptami) होती है. सप्तमी तिथि के स्वामी देव स्वयं भगवान सूर्य हैं. ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की सप्तमी ति​थि 22 मई 2022 दिन रविवार को है, इस​लिए भानु सप्तमी व्रत इस दिन रखा जाएगा. पुराणों में लिखा है ज्येष्ठ माह में सूर्य देव की उपासना और रविवार व्रत रखने से सूर्य देव की असीम कृपा मिलती है. इस माह में सूर्य देव के भानु स्वरूप की पूजा करते हैं.  भानु सप्तमी का व्रत रखने और सूर्य देव की पूजा करने से दुख, रोग, पाप आदि नष्ट हो जाते हैं. सूर्य देव की कृपा से धन, धान्य, वंश और सुख में वृद्धि होती है. इस दिन सूर्य को जल देने से बुद्धि विवेक बढ़ता है, इस दिन दान ज़रूर करें  दान करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. भानु सप्तमी के पुण्य प्रभाव से पिता के साथ रिश्ता मजबूत होता है. अब जानिए भानु सप्तमी की तिथि, पूजा मुहूर्त और इस दिन क्या करें.


 भानु सप्तमी 22 May 2022 Date


हिन्दू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 21 मई 2022 दिन शनिवार को दोपहर 02 बजकर 59 मिनट पर होगीऔर इस तिथि की समाप्ति  अगले दिन 22 मई रविवार को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट पर होगा. ऐसे में भानु सप्तमी व्रत 22 मई 2022 को रखा जाएगा.


भानु सप्तमी 2022 पूजा मुहूर्त

भानु सप्तमी व्रत के दिन इंद्र योग सुबह से लेकर अगले दिन प्रात: 03:00 बजे तक है और धनिष्ठा नक्षत्र रात 10:47 बजे तक है. द्विपुष्कर योग प्रात: 05:27 बजे से लेकर दोपहर 12:59 बजे तक है. इंद्र योग, द्विपुष्कर योग और धनिष्ठा नक्षत्र शुभ एवं मांगलिक कार्यों के लिए उत्तम माने गए हैं. इस दिन राहुकाल शाम 05:26 बजे से शाम 07:09 बजे तक है.


ऐसे में आप 22 मई को प्रात: स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और सूर्य देव के भानु स्वरूप की पूजा करें. इस दिन आप चाहें तो भानु सप्तमी व्रत भी रख सकते हैं.


भानु सप्तमी व्रत एवं पूजा विधि


यदि आपको 22 मई को भानु सप्तमी का व्रत रखना है तो उस दिन नमक का सेवन नहीं करना है. इस दिन प्रात: स्नान के बाद तांबे के पात्र में जल भर लें. फिर उसमें लाल चंदन या रोली, अक्षत्, लाल पुष्प और शक्कर डाल लें. फिर सूर्य देव को जल अर्पित करें.


 उसके बाद एक लाल आसन पर बैठकर सूर्य मंत्र का जाप करें. फिर सूर्य चालीसा, आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें. उसके पश्चात घी के दीपक या कपूर से सूर्य देव की आरती करें. किसी ब्राह्मण को जल कलश, पंखा, गेहूं, गुड़, घी, तांबे के बर्तन, लाल वस्त्र, मसूर की दाल आदि का दान कर सकते हैं.


पूजा के बाद दिनभर ब्रह्मचर्य का पालन करें और भगवत भजन करें. फलाहार करें, लेकिन नमक न खाएं. रात्रि के समय में जागरण करें. फिर मीठा भोजन करके व्रत का पारण करें. इस प्रकार से व्रत करने पर सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं. 

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