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रविवार, 22 मई 2022

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 Apara Ekadashi 2022: कब है अपरा एकादशी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त,पूजा विधि और पारण समय


हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में 24 एकादशियां पड़ती हैं जिसमें हर माह 2 एकादशी पड़ती है। पहली कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। दोनों एकादशी का अपना-अपना महत्व है। इसी तरह ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का भी विशेष महत्व है। इसे अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने का विधान है। अपरा एकादशी 26 मई 2022, गुरुवार को पड़ रही है। जानिए अपरा एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।


अपरा एकादशी का शुभ मुहूर्त


ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी प्रारंभ- 25 मई, बुधवार को सुबह 10 बजकर 32 मिनट से शुरू

ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी तिथि समाप्त: 26 मई, गुरुवार को सुबह 10 बजकर 54 मिनट तक

सर्वार्थ सिद्धि योग: 26 अप्रैल सुबह 5 बजकर 46 मिनट से शुरू होकर 27 मई सुबह 12 बजकर 38 मिनट तक

आयुष्मान योग: 25 मई रात 10 बजकर 15 मिनट से 27 अप्रैल रात 10 बजकर 8 मिनट तक

व्रत का पारण समय: 27 मई, शुक्रवार को सुबह 05 बजकर 25 मिनट से सुबह 08 बजकर 10 मिनट तक


अपरा एकादशी का महत्व


मान्यताओं के अनुसार, माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण के कहने पर पांडवों ने अपरा एकादशी का व्रत रखा जाता। जिसके बाद ही उन्हें महाभारत में विजय प्राप्त हुई थी। माना जाता है कि इस व्रत को रखने से सभी तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही हर तरह के पाप से भी मुक्ति मिल जाती है और प्रेत बाधा से भी मुक्ति मिलती है।


अपरा एकादशी की पूजा विधि


एकादशी के दिन सुबह उठकर नित्य कार्यों से मुक्त होकर स्नान आदि कर लें। इसके साथ ही साफ सुथरे कपड़े धारण कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें। अब पूजा प्रारंभ करें। पूजा घर में ही या फिर एक चौकी में पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद खुद किसी आसन में बैठ जाएं। अब सबसे पहले शुद्धि के लिए जल छिड़के। इसके बाद पीले रंग के फूल, माला, पीला चंदन, अक्षत चढ़ा दें। इसके बाद भोग लगाएं। फिर जल अर्पित करें। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर भगवान का नमन करते हुए एकादशी व्रत कथा पढ़ लें। अंत में विधिवत तरीके से पूजा करने के बाद भूल चूक के लिए माफी मांग लें। एकादशी के दिन बिना अन्न ग्रहण किए व्रत रखें और दूसरे दिन यानी द्वादशी के मुहूर्त के अनुसार व्रत खो लें।


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